Quoteप्रधानमंत्री मोदी ने देश की लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को एक महान शिक्षक बताते हुए कहा कि यह 125 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रेरित कर रही है
Quoteवेद हमें सिखाते हैं कि पूरा विश्व एक घर है और यह विश्व भारती विश्वविद्यालय के मूल्यों में स्पष्ट तौर पर प्रतिबिंबित होता है: पीएम मोदी
Quoteभारत और बांग्लादेश ऐसे 2 राष्ट्र हैं जिनके हित आपसी सहयोग और एक दूसरे के बीच समन्वय से जुड़े हैं: प्रधानमंत्री
Quoteगुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का विश्व भर में सम्मान किया जाता हैं; वे एक वैश्विक नागरिक हैं: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteविश्व भारती विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों को 2022 तक नए भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है: पीएम मोदी

 

मंच पर विराजमान बंग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जी, पश्चिम बंगाल के राज्‍यपाल श्रीमान केसरी नाथ जी त्रिपाठी, पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी जी, विश्‍व भारती के उपाचार्य प्रोफेसर सबूज कोली सेन जी और रामकृष्‍ण मिशन विवेकानंद इंस्‍टीटयूट के उपाचार्य पूज्‍य स्‍वामी आत्‍मप्रियानंद जी और यहां मौजूद विश्‍व भारती के अध्‍यापकगण और मेरे प्‍यारे युवा साथियों।

मैं सबसे पहले विश्‍व भारती के चांसलर के नाते आप सबकी क्षमा मांगता हूं। क्‍योंकि जब मैं रास्‍ते में आ रहा था। तो कुछ बच्‍चे इशारे से मुझे समझा रहे थे कि पीने का पानी भी नहीं है। आप सबको जो भी असुविधा हुई है। चांसलर के नाते ये मेरा दायित्‍व बनता है और इसलिए मैं सबसे पहले आप सबसे क्षमा मांगता हूं।

प्रधानमंत्री होने के नाते मुझे देश के कई विश्‍वविद्यालयों के convocation में हिस्‍सा लेने का अवसर मिला है। वहां मेरी सहभागिता अतिथि के रूप में होती है लेकिन यहां मैं एक अतिथि नहीं बल्कि आचार्य यानि चांसलर के नाते आपके बीच में आया हूं। यहां जो मेरी भूमिका है वो इस महान लोकतंत्र के कारण है। प्रधानमंत्री पद की वजह से है। वैसे ये लोकतंत्र भी अपने आप में एक आचार्य तो है जो सवा सौ करोड़ से अधिक हमारे देशवासियों को अलग-अलग माध्‍यमों से प्रेरित कर रहा है। लोकतांत्रिक मूल्‍यों के आलोक में जो भी पोषित और शिक्षित होता है वो श्रेष्‍ठ भारत और श्रेष्‍ठ भविष्‍य के निर्माण में सहायक होता है।

हमारे यहां कहा गया है। कि आचार्यत विद्याविहिता साघिष्‍ठतम प्राप्‍युति इति यानि आचार्य के पास जाएं उसके बगैर विद्या, श्रेष्‍ठता और सफलता नहीं मिलती। ये मेरा सौभाग्‍य है कि गुरुदेव रविन्‍द्र नाथ ठाकुर की इस पवित्र भूमि पर इतने आचार्यों के बीच मुझे आज कुछ समय बिताने का सौभाग्‍य मिला है।

जैसे किसी मंदिर के प्रागंन में आपको मंत्रोच्‍चार की ऊर्जा महसूस होती है। वैसी ही ऊर्जा मैं विश्‍व भारती, विश्‍वविद्यालय के प्रागंन में अनुभव कर रहा हूं। मैं जब अभी कार से उतरकर मंच की तरफ आ रहा था तो हर कदम, मैं सोच रहा था कि कभी इसी भूमि पर यहां के कण-कण पर गुरुदेव के कदम पड़े होंगें। यहां कहीं आस-पास बैठकर उन्‍होंने शब्‍दों को कागज पर उतारा होगा। कभी कोई धुन, कोई संगीत गुनगुनाया होगा। कभी महात्‍मा गांधी से लंबी चर्चा की होगी। कभी किसी छात्र को जीवन का, भारत का, राष्‍ट्र के स्‍वाभिमान का मतलब समझाया होगा।

साथियों, आज इस प्रागंण में हम परंपरा को निभाने के लिए एकत्र हुए हैं। यह अमरकुंज लगभग एक सदी से ऐसे कई अवसरों का साक्षी रहा है। बीते कई वर्षों से जा आपने यहां सीखा उसका एक पड़ाव आज पूरा हो रहा है। आपमें से जिन लोगों को आज डिग्री मिली है उनको मैं ह्दयपूर्वक बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और भविष्‍य के लिए असीम शुभकामनाएं मैं उनको देता हूं। आपकी ये डिग्री, आपकी ये शैक्षिणिक योग्‍यता का प्रमाण है। इस नाते ये अपने-आप में महत्‍वपूर्ण है। लेकिन आपने यहां सिर्फ ये डिग्री ही हासिल की है ऐसा नहीं है। आपने यहां से जो सीखा, जो पाया वो अपने आप में अनमोल है। आप एक समृद्ध विरासत के वारिस है। आपका नाता एक ऐसी गुरु शिष्‍य परंपरा से है। जो जितनी पुरातन है उतनी ही आधुनिक भी है।

वैदिक और पौराणिक काल में जिसे हमारे ऋषियों-मुनियों ने सींचा। आधुनिक भारत में उसे गुरुदेव रवीन्‍द्रनाथ टैगोर जैसे मुनिषयों ने आगे बढ़ाया। आज आपको जो ये सप्‍तपरिणय का गुच्‍छ दिया गया है। ये भी सिर्फ पते नहीं है। बल्कि एक महान संदेश है। प्र‍कृति किस प्रकार से हमें एक मनुष्‍य के नाते, एक राष्‍ट्र के नाते उत्‍तम सीख दे सकती है। ये उसी का एक परिचायक, उसकी मिसाल है। यही तो इस अप्रतिम संस्‍था के पीछे की भावना, यही तो गुरुदेव के विचार हैं, जो विश्‍व भारती की आधारशिला बनी।

भाईयों और बहनों यत्र विश्‍वम भवेतेक निरम यानि सारा विश्‍व एक घोसला है, एक घर है। ये वेदों की वो सीख है। जिसको गुरुदेव ने अपने बेशकीमती खजाने के विश्‍व भारती का धैय वाक्‍य बनाया है। इस वेद मंत्र में भारत की समृद्ध परंपरा का सार छुपा है। गुरुदेव चाहते थे कि ये जगह उद्घोषणा बने जिसको पूरा विश्‍व अपना घर बनाए। घोसले और घरोंदों को जहां एक ही रूप में देखा जाता है। जहां संपूर्ण विश्‍व को समाहित करने की भावना हो। यही तो भारतीयता है। यही वसुधैव कुटुम्‍बकम् का मंत्र है। जो हजारों वर्षों से इस भारत भूमि से गुंजता रहा और और इसी मंत्र के लिए गुरुदेव ने पूरा जीवन समर्पित कर दिया है।

साथियों वेदों, उपनिषदों की भावना जितनी हजारों साल से पहले से सार्थक थी उतनी ही सौ साल पहले जब गुरुदेव शांति निकेतन में पधारे। आज 21वीं सदी की चुनौतियों से जुझते विश्‍व के लिए भी ये उतनी ही प्रासंगिक है। आज सीमाओं के दायरे में बंधे राष्‍ट्र एक सच्‍चाई है। लेकिन ये भी सच है इस भू-भाग की महान परंपरा को आज दुनिया globalization के रूप में जी रही है। आज यहां हमारे बीच में बंग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जी भी मौजूद हैं। शायद ही कभी ऐसा मौका आया हो। कि एक convocation में दो देश के प्रधानमंत्री मौजूद हों।

भारत और बंग्‍लादेश दो राष्‍ट्र हैं लेकिन हमारे हित एक-दूसरे के साथ समन्‍वय और सहयोग से जुड़े हुए हैं। culture हो या public policy हम एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसी का एक उदाहरण बंग्‍लादेश भवन है। जिसका थोड़ी में हम दोनों वहां जाकर के उद्घाटन करने वाले हैं। ये भवन भी गुरुदेव के vision का ही प्रतिबिंब है।

साथियों, मैं कई बार हैरान रह जाता हूं। जब देखता हूं कि गुरुदेव का व्‍यक्तित्‍व का ही नहीं बल्कि उनकी यात्राओं का विस्‍तार भी कितना व्‍यापक था। अपनी विदेश यात्राओं के दौरान मुझे अनेक ऐसे लोग मिलते हैं। जो बताते हैं कि टैगोर कितने साल पहले उनके देश में आए थे। उन देशों में आज भी बहुत सम्‍मान के साथ गुरुदेव को याद किया जाता है। लोग टैगोर के साथ खुद को जोड़ने की कोशिश करते हैं।

अगर हम अफगानिस्‍तान जाएं तो काबुली वाला की कहानी का जिक्र हर अफगानिस्‍तानी करता ही रहता है। बड़े गर्व के साथ करता है। तीन साल पहले जब मैं तजाकिस्‍तान गया तो वहां पर मुझे गुरुदेव की एक मूर्ति का लोकार्पण करने का भी अवसर मिला था। गुरुदेव के लिए वहां के लोगों में जो आदर भाव मैंने देखा वो मैं कभी भूल नहीं सकता।

दुनिया के अनेक विश्‍वविद्यालयों में टैगोर आज भी अध्‍ययन का विषय है। उनके नाम पर chairs हैं अगर मैं कहूं कि गुरुदेव पहले भी ग्‍लोबल सि‍टिजन थे और आज भी है। तो गलत नहीं होगा। वैसे आज इस अवसर पर उनका गुजरात से जो नाता रहा उसका वर्णन करने के मोह से मैं खुद को रोक नहीं पा रहा। गुरुदेव का गुजरात से भी एक विशेष नाता रहा है। उनके बड़े भाई सत्‍येंद्रनाथ टैगोर जो सिविल सेवा join करने वाले पहले भारतीय थे। काफी समय वे अहमदाबाद में भी रहे। संभवत: वो तब अहमदाबाद के कमीशनर हुआ करते थे। और मैंने कहीं पढ़ा था। कि पढ़ाई के लिए इंगलैंड जाने से पहले सत्‍येंद्रनाथ जी अपने छोटे भाई को छ: महीने तक अंग्रेजी साहित्‍य के अध्‍ययन वहीं अहमदाबाद में कराया था। गुरुदेव की आयु तब सिर्फ 17 साल की थी। इसी दौरान गुरुदेव ने अपने लोकप्रिय नोवल खुदितोपाशान के महत्‍वपूर्ण हिस्‍से और कुछ कविताएं भी अहमदाबाद में रहते हुए लिखी थी। यानि एक तरह से देखें तो गुरुदेव के वैश्विक पटल पर जीत स्‍थापित होने में एक छोटी सी भूमिका हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने की रही है, उसमें गुजरात भी एक है।

साथियों, गुरुदेव मानते थे कि हर व्‍यक्ति का जन्‍म किसी न किसी लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए होता है। प्रत्‍येक बालक अपनी लक्ष्‍य प्राप्ति की दिशा में बढ़ सके इसके लिए योग्‍य उसे बनाना इसमें शिक्षा का महत्‍वपूर्ण योगदान है। वो बच्‍चों के लिए कैसी शिक्षा चाहते थे। उसकी झलक उनकी कविता power of affection में हम अनुभव कर सकते हैं। वो कहते थे कि शिक्षा केवल वही नहीं है जो विद्यालय में दी जाती है। शिक्षा तो व्‍यक्ति के हर पक्ष का संतुलित विकास है जिसे समय और स्‍थान के बंधन में बांधा नहीं जा सकता है। और इसलिए गुरुदेव हमेशा चाहते थे कि भारतीय छात्र बाहरी दुनिया में भी जो कुछ हो रहा है उससे भली-भांति परिचित रहे। दूसरे देशों के लोग कैसे रहते हैं, उनके सामाजिक मूल्‍य क्‍या हैं, उनकी सांस्‍कृतिक विरासत क्‍या है। इस बारे में जानने पर वो हमेशा जोर देते थे। लेकिन इसी के साथ वो ये भी कहते थे। कि भारतीयता नहीं भूलनी चाहिए।

मुझे बताया गया है कि एक बार अमेरिका में agriculture पढ़ने गए अपने दामाद को चिट्ठी लिखकर भी उन्‍होंने ये बात विस्‍तार से समझायी थी। और गुरुदेव ने अपने दामाद को लिखा था कि वहां सिर्फ कृषि की पढ़ाई ही काफी नहीं है। बल्कि स्‍थानीय लोगों से मिलना-जुलना ये भी तुम्‍हारी शिक्षा का हिस्‍सा है। और आगे लिखा लेकिन अगर वहां के लोगों को जानने के फेर में तुम अपने भारतीय होने की पहचान खोने लगो तो बेहतर है कि कमरे में ताला बंद करके उसके भीतर ही रहना।

भारतीय राष्‍ट्रीय आंदोलन में टैगोर जी का यही शैक्षणिक और भारतीयता में ओतप्रोत दर्शन एक दूरी बन गया था। उनका जीवन राष्‍ट्रीय और वैश्विक विचारों का समावेश था जो हमारी पुरातन परंपराओं का हिस्‍सा रहा है। ये भी एक कारण रहा कि उन्‍होंने यहां विश्‍व भारती में शिक्षा की अलग ही दुनिया का सर्जन किया। सादगी यहां की शिक्षा का मूल सिद्धांत है। कक्षाएं आज भी खुली हवा में पेड़ों के नीचे चलाई जाती हैं। जहां मनुष्‍य और प्रकृति के बीच सीधा संवाद होता है। संगीत, चित्रकला, नाट्य अभिनय समेत मानव जीवन के जितने भी आयाम होते हैं, उन्‍हें प्रकृति की गोद में बैठकर निखारा जा रहा है।

मुझे खुशी है कि जिन सपनों के साथ गुरुदेव ने इस महान संस्‍थान की नींव रखी थी। उनको पूरा करने की दिशा में ये निरंतर आगे बढ़ रहा है। शिक्षा को skill development से जोड़कर और उसके माध्‍यम से सामान्‍य मानवी के जीवन स्‍तर को उपर उठाने का उनका प्रयास सराहनीय है।

मुझे बताया गया है यहां के लगभग 50 गांवों में आप लोगों ने साथ मिलकर, आप उनके साथ जुड़कर के विकास के सेवा के काम कर रहे हैं। जब आपके इस प्रयास के बारे में मुझे बताया गया तो मेरी आशाएं और आंकाक्षाएं आपसे जरा बढ़ गई हैं। और आशा उसी से बढ़ती है जो कुछ करता है। आपने किया है इसलिए मेरी आपसे अपेक्षा भी जरा बढ़ गई हैं।

Friends 2021 में इस महान संस्‍थान के सौ वर्ष पूरे होने वाले हैं आज जो प्रयास आप 50 गांव में कर रहे हैं क्‍या अगले दो-तीन वर्षों में इसको आप सौ या दौ सौ गांव तक ले जा सकते हैं। मेरा एक आग्रह होगा कि अपने प्रयासों को देश की आवश्‍यकताओं के साथ ओर जोडि़ए। जैसे आप ये संकल्‍प ले सकते हैं कि 2021 तक जब इस संस्‍थान की शताब्‍दी हम मनाएगें, 2021 तक ऐसे सौ गांव विकसित करेंगे यहां के हर घर में बिजली कनेक्‍शन होगा, गैस कनेक्‍शन होगा, शौचालय होगा, माताओं और बच्‍चों का टीकाकरण हुआ होगा, घर के लोगों को डिजिटल लेनदेन आता होगा। उन्‍हें कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर महत्‍वपूर्ण फार्म ऑनलाइन भरना आता होगा।

आपको ये भली भांति पता है कि उज्‍ज्‍वला योजना के तहत दिए जा रहे गैस कनेक्‍शन और स्‍वच्‍छ भारत मिशन के तहत बनाए जा रहे शौचालयों ने महिलाओं की जिंदगी आसान करने का काम किया है। गांवों में आपके प्रयास, शक्ति की उपासक, इस भूमि में नारी शक्ति को सशक्‍त करने का काम करेगा और इसके अलावा ये भी प्रयास किया जा सकता है। कि इन सौ गांवों को प्रकृति प्रेमी, प्रकृति पूजन गांव कैसे बनाया जाए। जैसे आप प्रकृति के सरंक्षण की तरह हैं, कार्य करते हैं। वैसे ही ये गांव भी आपके मिशन का हिस्‍सा बनेगा। यानि ये सौ गांव उस विजन को आगे बढ़ाएं जहां जल भंडारण की पर्याप्‍त व्‍यवस्‍थाएं विकसित करके जल सरंक्षण किया जाता हो। लकड़ी न जलाकर वायु संरक्षण किया जाता हो। स्‍वच्‍छता का ध्‍यान रखते हुए प्राकृतिक खाद्य का उपयोग करते हुए भूमि संरक्षण किया जा सकता है।

भारत सरकार की गोबर धन योजना का भरपूर फायदा उठा जा सकता है। ऐसे तमाम कार्य जिनकी चेक लिस्‍ट बनाकर आप उन्‍हें पूरा कर सकते हैं।

साथियों, आज हम एक अलग ही विषय में अलग ही चुनौतियों के बीच जी रहे हैं। सवा सौ करोड़ देशवासियों ने 2022 तक जबकि आजादी के 75 साल होंगे। न्‍यू इंडिया बनाने का संकल्‍प लिया है। इस संकल्‍प की सिद्धि में शिक्षा और शिक्षा से जुड़ें आप जैसे महान संस्‍थानों की अहम भूमिका है। ऐसे संस्‍थानों से निकले नौजवान देश को नई ऊर्जा देते हैं। एक नई दिशा देते हैं। हमारे विश्‍वविद्यालय सिर्फ शिक्षा के संस्‍थान न बने। लेकिन सामाजिक जीवन में उनकी सक्रिय भागीदारी हो, इसके लिए प्रयास निरंतर जारी है।

सरकार द्वारा उन्‍नत भारत अभियान के तहत विश्‍वविद्यालयों को गांव के विकास के साथ जोड़ा जा रहा है। गुरुदेव के विजन के साथ-साथ न्‍यू इंडिया की आवश्‍यकताओं के अनुसार हमारी शिक्षा व्‍यवस्‍था को सुदृढ़ करने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयासरत है।

इस बजट में revitalizing infrastructure & system in education यानि RISE नाम से एक नई योजना शुरू करने की घोषणा की गई है। इसके तहत अगले चार साल में देश के education system को सुधारने के लिए एक लाख करोड़ रुपया खर्च किया जाएगा। Global Initiative of Academic Network यानि ज्ञान भी शुरू किया गया। इसके माध्‍यम से भारतीय संस्‍थाओं ने पढ़ाने के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्‍ठ शिक्षकों को आमंत्रित किया जा रहा है।

शैक्षिक संस्‍थाओं को पर्याप्‍त सुविधाएं मिलें इसके लिए एक हज़ार करोड़ रुपये के निवेश के साथ Higher Education Financing Agency शुरू की गई है। इससे प्रमुख शैक्षिक संस्‍थाओं में High Quality Infrastructure के लिए निवेश में मदद मिलेगी। कम उम्र में ही Innovation का mindset करने के लिए अब उस दिशा में हमें देश भर में 2400 स्‍कूलों को चुना। इन स्‍कूलों में Atal Tinkering Labs के माध्‍यम से हम छठी से 12वीं कक्षा के छात्रों पर फोकस कर रहे हैं। इन Labs में बच्‍चों को आधुनिक तकनीक से परिचित करवाया जा रहा है।

साथियों आपका ये संस्‍थान education में innovation का जीवन प्रमाण है। मैं चाहूंगा कि विश्‍व भारती के 11000 से ज्‍यादा विद्यार्थी innovation को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई योजनाओं का ज्‍यादा से ज्‍यादा लाभ उठाएं। आप सभी यहां से पढ़कर निकल रहे हैं। गुरुदेव के आर्शीवाद से आपको एक विजन मिला है। आप अपने साथ विश्‍व भारती की पहचान लेकर के जा रहे हैं। मेरा आग्रह होगा आपसे इसके गौरव को और ऊंचा करने के लिए आप निरंतर प्रयास करते रहें। जब समाचारों में आता है कि संस्‍थान के छात्र ने अपने innovation के माध्‍यम से, अपने कार्यों से 500 या हजार लोगों की जिंदगी बदल दी तो लोग उस संस्‍थान को भी नमन करते हैं।

आप याद रखिए, जो गुरुदेव ने कहा था “जोदि तोर दक शुने केऊ ना ऐशे तबे एकला चलो रे” अगर आपके साथ चलने के लिए कोई तैयार नहीं है तब भी अपने लक्ष्‍य की तरफ अकेले ही चलते रहो। लेकिन आज मैं यहां आपको यह कहने आया हूं। कि अगर आप एक कदम चलेंगे तो सरकार चार कदम चलने के लिए तैयार है।

जनभागीदारी के साथ बढ़ते हुए कदम ही हमारे देश की 21वीं सदी में उस मकाम तक ले जाएगें जिसका वो अधिकारी है। जिसका सपना गुरुदेव ने भी देखा था।

साथियो गुरुदेव ने अपने निधन से कुछ समय पहले गांधी जी को कहा था कि विश्‍व भारती वो जहाज है। जिसमें उनके जीवन का सबसे बहुमूल्‍य खजाना रखा हुआ है। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई थी कि भारत के लोग हम सभी इस बहुमूल्‍य खजाने को संजोकर रखें। तो इस खजाने को न सिर्फ संजोने बल्कि इसको और समृद्ध करने की बहुत बड़ी जिम्‍मेवारी हम सब पर है। विश्‍व भारती विश्‍वविद्यालय न्‍यू इंडिया के साथ-साथ विश्‍व को नए रास्‍ते दिखाती रहे। इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्‍त करता हूं।

आप अपने, अपने माता-पिता, इस संस्‍थान और इस देश के सपनों को साकार करें इसके लिए आपको एक बार फिर बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

  • Mahendra singh Solanki Loksabha Sansad Dewas Shajapur mp December 18, 2023

    नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो
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पीएम ने ‘विकसित भारत’ की यात्रा में नारी शक्ति की बदलावकारी भूमिका पर जोर दिया
June 08, 2025
QuoteOver the last 11 years, the NDA Government has redefined women-led development: PM
QuoteVarious initiatives, from ensuring dignity through Swachh Bharat to financial inclusion via Jan Dhan accounts, the focus has been on empowering our Nari Shakti: PM

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has highlighted the transformative role played by women in the journey towards a developed India, underlining the government’s focus on women-led development over the past 11 years.

The Prime Minister said that our mothers, sisters and daughters have seen times when they had to face difficulties at every step. But today they are not only participating actively in the resolution of a developed India, but are also setting examples in every field from education to business. Shri Modi further added that the successes of Nari Shakti in the last 11 years are a matter of pride for all citizens.

The Prime Minister noted that the NDA Government has redefined women-led development through a series of impactful initiatives. These include ensuring dignity through the Swachh Bharat Abhiyan, financial inclusion via Jan Dhan accounts, and empowerment at the grassroots level.

He cited Ujjwala Yojana as a milestone that brought smoke-free kitchens to several homes. He also highlighted how MUDRA loans have enabled lakhs of women to become entrepreneurs and pursue their dreams independently. The provision of houses in women’s names under the PM Awas Yojana has also made a remarkable impact on their sense of security and empowerment.

The Prime Minister also recalled the Beti Bachao Beti Padhao campaign, which he described as a national movement to protect the girl child.

Shri Modi affirmed that in all sectors- including science, education, sports, StartUps, and the armed forces-women are excelling and inspiring several people.

The Prime Minister shared these remarks through a series of posts on X;

"हमारी माताओं-बहनों और बेटियों ने वो दौर भी देखा है, जब उन्हें कदम-कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। लेकिन आज वे ना सिर्फ विकसित भारत के संकल्प में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभा रही हैं, बल्कि शिक्षा और व्यवसाय से लेकर हर क्षेत्र में मिसाल कायम कर रही हैं। बीते 11 वर्षों में हमारी नारीशक्ति की सफलताएं देशवासियों को गौरवान्वित करने वाली हैं।

#11YearsOfSashaktNari"

"Over the last 11 years, the NDA Government has redefined women-led development.
Various initiatives, from ensuring dignity through Swachh Bharat to financial inclusion via Jan Dhan accounts, the focus has been on empowering our Nari Shakti. Ujjwala Yojana brought smoke-free kitchens to several homes. MUDRA loans enabled lakhs of women entrepreneurs to pursue dreams on their own terms. Houses under the women’s name in PM Awas Yojana too have made a remarkable impact.

Beti Bachao Beti Padhao ignited a national movement to protect the girl child.

In all sectors, including science, education, sports, StartUps and the armed forces, women are excelling and inspiring several people.

#11YearsOfSashaktNari"